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हमारी दुनिया और उसकी दुनिया

Kabhi Socha Hai....
Kabhi Socha Hai....
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आज के युग मे इंसान अपने दुखो से काफ़ी परेशान है  वह हर वक़्त अपने दुखो की गाथा ही बयान करता है,थोड़ी सी परेशानी आने पर ही वह व्याकुल हो जाता है और भगवान से ही सवाल कर उठता है की “ऐसा मेरे साथ ही क्यूँ होता है ” ”मेरी तो ज़िंदगी ही नर्क है” या फिर कई बार कुछ लोगो से ये भी सुनने को मिलता है की ये तो मेरे “पिछले जन्म के पाप है” चलो छोड़ो ये तो है हमारी दुनिया, जहाँ हम सोचते है, हमारे सुख दुख खुशी गम सबका ज़िम्मेदार वो उपरवाला है l

मगर सही मायने मे असल दुनिया कुछ और ही है, जहाँ इन सब से कोई फ़र्क नही पड़ता की आप सुखी हो या दुखी…आप बड़े हो या छोटे…आप किसी परीक्षा मे पास होते हो या फैल…उसका तो कम से कम इन बातों से दूर दूर तक कोई लेना देना नही है..सही मायनो मे उसे इतनी फ़ुर्सत ही नही है इन सबको सोच सके,वो वैसे ही अपनी दुनिया चलाने मे व्यस्त है lब्रह्मांड बहुत बड़ा है…बहुत बड़ा, जिस धरा पर हम रहते है वो ‘पृथ्वी’ जैसा की सबको पता है सूर्य क चारो और चक्कर लगाती है,और सूर्य एक आकाशा गंगा का भाग है और ऐसे लाखो करोड़ो आकाशागंगाए पूरे ब्रह्माण्ड मे जाल की तरह फैली हुई है, लाखो तारे है लाखो ग्रह है,पूरे अंतरिक्ष मे हम एक बिंदु से ज़्यादा कुछ भी नही है

एक जानकारी के लिए बता दूं, सूर्य जिससे हमे उर्जा मिलती है, उसका आकार हमारी पृथ्वी के आकर से 110 गुना बड़ा है ,और तो और सूर्य की उर्ज़ा उसके केंद्र से सतह पर आने मे ही 1 लाख साल लग जाते है और सतह से पृथ्वी पर आने मे लगते है मात्र 8 मिनिट्स, अब इसी से अंदाज़ा लगा सकते है की हम कितने सूक्ष्म है…सूर्य पर होने वाली कोई भी छोटी सी उथुलपुथल हमारे ग्रह पर क्या तबाही मचा सकती है ये हम सोच भी नही सकते ,चलो सूर्य की छोड़ो वो तो फिर भी दूर की बात है….उल्कपिंड के बारे मे बता दूं आए दिन अनेको उल्कपिंड हमारे पृथ्वी के करीब से गुजरते है, मुख्यता उनका आकर बहुत बड़ा तो नही होता, मगर फिर भी नासा की एक स्टडी बताती है की ,अगर कोई व्रहत आकर का उल्कपिंड आकर पृथ्वी के किसी भी कोने मे गिर जाता है तो पूरी पृथ्वी चन्द सेकण्ड मे आँधी तूफान से तबाह हो जाएगी….पूरी पृथ्वी पर प्रलय आजाएगी, तो देख लो ये है असल दुनिया

और हम डरते है दुखो से कठिनाइयों से और उसके लिए कभी कभी तो उपरवाले को दोषी तक ठहरा देते है  l  हमे तो उनका धन्यवाद देना चाहिए की कैसी विषम परिस्थितियो मे भी उसने क्या खूब संतुलन बना रखा है l

तो इन सब से यही पता लगता है हम व्यर्थ मे ही छोटी छोटी चीज़ो से परेशन होते है,इस दुनिया पर हमारा कोई काबू ही नही है और उसके के पास इतनी छोटी चीज़ के लिए वक़्त ही कहाँ होगा यहाँ जो होना है वो होगा,तो इसीलिए ना दुखो से बहुत ज़्यादा परेशान होना चाहिए ना ही सुख के समय मे बहुत ज़्यादा प्रसन्न

क्यूँ की ये याद रखना जब कयामत की रात आएगी तब ना मे रहूँगा ना आप

तो जब तक हो मज़े से रहो……

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