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काहे के हीरो!!!

Kabhi Socha Hai....
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हमारे भारत देश को तीन चीज़े आपस मे जोड़ती है, राजनीति, क्रिकेट और सिनेमा. राजनीति और क्रिकेट के विषय मे तो बहुत कुछ लिखा जा चुका है बहुत कुछ पढ़ा जा चुका है. आज सिनेमा की बात करते है.

सिनेमा मतलब बॉलीवुड आप देश के किसी भी कोने मे चले जाओ आपको बॉलीवुड के गीत या थिरकते हुए सितारे कहीं भी मिल जाएँगे ,जो आपको कभी ऐसा महसूस ही नही होने देंगे की आप एक नयी जगह पर आए हो वेषभूसा, ख़ान पान सब अलग हो फिर भी सिनेमा है जो आपको अपनेपन का अहसास दिला देगा… वही संगीत वही ‘ख़ान’ बंधु…….है ना कमाल !!

जैसे सिनेमा हमारे लिए किसी धर्म से कम नही है…वैसे ही उसके नायक यानी सो कॉल्ड ‘हीरो’ भी कुछ लोगो क लिए भगवान से कम नही है….हम आए दिन उनकी मार धाड़ प्यार मोहब्बत वाली फ़िल्मे देख कर उन्हे अपना हीरो मान चुके है

हीरो का मतलब होता है फाइटर, चॅंपियन..जो मुसीबत आने पर उसका डॅट कर मुकाबला करता है…दुश्मनो के छ्क्के छुड़ा देता है और सही भी है,सिनेमा मे हम सब ने ऐसा ही हीरो देखा है तो इन सितारो को हीरो कहने मे कोई हर्ज़ नही है,मगर समस्या तब आती है जब ये फिल्मी सितारे भी खुद को हीरो समझने लगते है इसके उदाहरण आपको अनेको बार इनके आचरण से देखने को मिलता है… ‘मीडीया से बदसुलूकी करना, धर्म का अपमान करना , तेज रफ़्तार से गाड़ी चलना इन लोगो के लिए आम बात है’

मेरी नज़र मे ये हीरो हो ही नही सकते…अगर सही मे हीरो होते तो 100-100 बॉडीगार्ड्स के काफिले की ज़रूरत नही पड़ती, अरी भाई हीरो को ‘काए का डर’ फ़िल्मो मे 100-100 गुंडों को पीटने वाले की इतनी मुस्तेद सुरक्षा देख कर तो ये ही लगता है और तो और थोड़ी सी मोच आने पर इनको विदेश जाना पड़ता है…अरी वाह रे हीरो… हां ये लोग मनोरंजन करते है दिल बहलाते है लोगो का मगर हीरो जैसा इनमे कुछ है ही नही

आप गाँव जाकर देखिए वहाँ ऐसे शक्शियत को ‘भांड’ क नाम से जाना जाता है…जो अलग अलग किरदारो मे अभिनय प्रद्रशित करता है और लोगो का मनोरंजन करता है…

मगर ये सिनेमा के फेक हीरो खुद को राजा से कम नही समझते.

और तो और हद तो तब हो जाती है जब कुछ लोग इन लोगो से मिलने के लिए मरने तक को तैयार रहते है….अरे अक्ल के दुश्मनो मरना ही है तो सीमा पर जाओ , कम से कम देश के तो काम आओगे

मेरे मायनो मे असल हीरो है वो देश क रक्षक जो सीमा पर मुस्तेदि से पहरा देते है और जान की परवाह किए बगैर दुश्मनो से लड़ने की ताक़त रखते है….सोचो कभी ये सेना वाले ,आर्मी वाले भी इतना गुरूर करने लगेगे तो क्या होगा देश का…तो बस इतना ही समझने की ज़रूरत है की सिनेमा एक मनोरंजन का साधन मात्र है , और हमे इन सो कॉल्ड ‘हीरो’ को इतनी तवज्जो देने की कोई ज़रूरत नही है…

ज़य हिंद!!

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